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    हिरासत में मौत के रहस्य से नहीं उठ सका पर्दा कागजों में उलझी तफ्तीश,


            

    अंबेडकरनगर

     पुलिस हिरासत में पड़ोसी जनपद आजमगढ़ के युवक की मौत के मामले में एक वर्ष बाद भी रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका। कागजों में उलझी पुलिस की तफ्तीश न्यायालय तक नहीं पहुंच सकी है। हत्या और अपहरण के आरोपित पुलिसकर्मियों का निलंबन भी रद कर दिया गया है। उधर, पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है।आजमगढ़ के पवई थाने के हाजीपुर के जियाऊद्दीन की गत वर्ष पुलिस अभिरक्षा में मौत हो गई थी। स्पेशल वेपंस एंड टैक्टिक्स (स्वाट) टीम ने लूट के मामले में अपराधियों से मोबाइल पर बातचीत करने के आरोप में जियाऊद्दीन को उसके घर से गत वर्ष 25 मार्च को उठाया था। पुलिस की पिटाई के बाद उसी रात गंभीर अवस्था में जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। वारदात के दो दिन बाद पुलिस ने कोतवाली अकबरपुर में मृतक के भाई शहाबुद्दीन की तहरीर पर तत्समय स्वाट टीम प्रभारी देवेंद्र पाल सिंह, आरक्षी हरिकेश यादव, विधान सिंह, बृजेश कुमार यादव, जितेंद्र गौंड़, शिवम चौधरी, संतोष तिवारी एवं अमलेश कुमार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। एसपी ने सभी आरोपितों को निलंबित कर दिया था। पोस्टमार्टम में मौत की वजह स्पष्ट न होने पर चिकित्सकों ने विसरा सुरक्षित किया था। घटना के एक वर्ष से अधिक समय बाद भी जांच कर रहे कोतवाल अमित प्रताप सिंह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। पखवारे भर पूर्व उनका स्थानांतरण जलालपुर कर दिया गया। अब जांच निरीक्षक दीपक सिंह रघुवंशी को सौंप दी गई है। आरोपितों ने अभी तक जमानत भी नहीं कराई है। इसके बावजूद एसपी ने पुलिस कर्मियों का निलंबन रद कर उन्हें बहाल कर दिया। सभी को पुलिस लाइन से लेकर साइबर सेल में तैनाती मिल गई है।विवेचना में पुलिसकर्मियों के विरुद्ध साक्ष्य न मिलने के आधार पर उनकी बहाली की गई है। ऐसी स्थिति में जमानत कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती।


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